एक मुखी से चौदह मुखी रुद्राक्षों को मन्त्रों से अभिमन्त्रित करने का मन्त्र 

एक मुखी से चौदह मुखी रुद्राक्षों को मन्त्रों से अभिमन्त्रित करने का मन्त्र 

एक मुखी से चौदह मुखी रुद्राक्षों को मन्त्रों से अभिमन्त्रित करने का मन्त्र 

सनातन की हर प्रथा, हर नियम एक विज्ञान है..

पुराणों में व शास्त्रों में वर्णन है कि रुद्राक्ष को बिना अभिमन्त्रित किये नहीं पहनना चाहिये । क्योंकि बिना अभिमन्त्रित किये रुद्राक्ष पहनना व्यर्थ है उससे किसी कार्य की सिद्धि अथवा कोई मनोकामना पूर्ण नहीं होती।

 

पद्मपुराण’ के अनुसार रुद्राक्ष को निम्न प्रकार से अभिमन्त्रित करना चाहिये

पञ्चामृत पञ्चगव्यं स्नानकाले प्रयोजयेत् ।रुद्राक्षस्य प्रतिष्ठायां मन्त्रः पञ्चाक्षर यथा ।।

त्र्यंबकादिमन्त्र यथा तेन प्रयोजयेत्

अर्थात् रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को रुद्राक्ष को अभिमन्त्रित करने से पूर्व स्नान के समय पंचामृत और पंचगव्य का भी प्रयोग करना चाहिए । तथा रुद्राक्ष की प्रतिष्ठा में पंचाक्षर मन्त्र “नमः शिवाय” का पाठ करना चाहिये । तब ॐ त्र्यंबकादि मन्त्र का व्यवहार करना चाहिये ।

ॐ त्र्यंबकादि मन्त्र —

ॐ त्र्यंवकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात् ।।

ॐ हौं अघोरे घोरेतुं घोरतरे हूं ॐ ह्रीं श्रीं सर्वतः सर्वाङ्ग नमस्ते रुद्ररूपे हुम ।।

 

इति मन्त्रः ।।

“पद्म पुराण” के अनुसार एक मुखी से चौदह मुखी रुद्राक्ष तक को क्रमवार निम्न मन्त्रों से अभिमन्त्रित करना चाहिये ।

 

(१) एक मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ॐ “दृशं नमः” मन्त्र से प्रतिष्ठित करना चाहिये ।

(२) दो मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ॐ नमः” नामक मन्त्र से प्रतिष्ठित करना चाहिये ।

(३) तीन मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ॐ नमः” नामक मन्त्र से ही प्रतिष्ठित करना चाहिए ।

(४) चार मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” नामक मंत्र से प्रतिष्ठित करना चाहिये ।

(५) पञ्चमुखी रुद्राक्ष को “ॐ हूँ नमः” नामक मन्त्र से अभि- मन्त्रित करना चाहिये ।

(६) छः मुखी रुद्राक्ष को “ॐ हूँ नमः” मन्त्र से प्रतिष्ठित करना चाहिये ।

(७) सात मुखी रुद्राक्ष को “ॐ हुँ नमः” मन्त्र से प्रतिष्ठित करना चाहिये ।

(८) आठ मुखी रुद्राक्ष को “ॐ सः हूँ नमः” मन्त्र से प्रतिष्ठित करना चाहिये ।

(६) नव मुखी रुद्राक्ष को “ॐ हं नमः” मन्त्र से प्रतिष्ठित करन चाहिये ।

(१०) दश मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” मन्त्र से प्रतिष्ठि करना चाहिये ।

(११) ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को “ॐ श्रीं नमः” मन्त्र से प्रतिष्ठि करना चाहिये ।

(१२) बारह मुखी रुद्राक्ष को “ॐ हूँ ह्रीं नमः” मन्त्र से प्रतिष्ठित करना चाहिये ।

(१३) तेरह मुखी रुद्राक्ष को “ॐ क्षां चों नमः” मन्त्र से प्रतिष्ठि करना चाहिये ।

(१४) चौदह मुखी रुद्राक्ष को “ॐ नमो नमः” मन्त्र से प्रतिष्ठि करना चाहिये ।

इसी प्रकार एक मुखी से चौदह मुखी तक रुद्राक्षों को “स्कन्द पुराण” में निम्न मन्त्रों से प्रतिष्ठित करने का निर्देश दिया गया है

(१) एक मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ए नमः” मन्त्र से अभिमन्त्रि करना चाहिये ।

(२) दो मुखी रुद्राक्ष को “ॐ श्रीं नमः’ मन्त्र से अभिमन्त्रित करन चाहिये ।

(३) तीन मुखी रुद्राक्ष को “ॐ धूं नमः” मन्त्र से अभिमन्त्रि करना चाहिये ।

(४) चार मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं हू नमः” मन्त्र से अभिमन्त्रि करना चाहिये ।

(५) पंचमुखी रुद्राक्ष को “ॐ श्रीं नमः” मन्त्र से अभिमन्त्रित करना चाहिये ।

(६) छः मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” मन्त्र से अभिमन्त्रित करना चाहिये ।

(७) सात मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” मन्त्र से अभिमन्त्रित करना चाहिये ।

(८) आठ मुखी रुद्राक्ष को “ॐ कं वं नमः” मन्त्र से अभिमन्त्रित करना चाहिये ।

(६) नवमुखी रुद्राक्ष का “ॐ ह्रीं नमः” मन्त्र से अभिमन्त्रित करना चाहिये ।

(१०) दशमुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” मन्त्र से अभिमन्त्रित करना चाहिये ।

(११) ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को “ॐ श्रीं नमः” मन्त्र से अभिमन्त्रित करना चाहिये ।

(१२) बारह मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रां ह्रीं नमः” मन्त्र से अभि- मन्त्रित करना चाहिये ।

(१३) तेरह मुखी रुद्राक्ष को “ॐ क्ष्यं स्तों नमः” मंत्र से अभिमन्त्रित करना चाहिये ।

(१४) चौदह मुखी रुद्राक्ष को “ॐ डं मां नमः” मन्त्र से अभिमन्त्रित करना चाहिये ।

 

।। इति मन्त्रः स्कन्द पुराणे ।।

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